मैं कहीं खोया नहीं दुनिया में
ये तेरा मानना है तो अच्छा ही है
बिना खोये भी लगता है मुझे
मैंने बहुत कुछ खोया है
चाहे मैं नहीं खोया दुनिया की भीड़ में
तुझे पाना चाहा था बस वोही पाया नहीं
बहुत सालों से ये दिल नहीं रोया है
चलो कोई बात नहीं क्यूंकि
रेगिस्तान को कितना भी निचोड़ डालो
बूँद से तो इसका कोई वास्ता ही नहीं
तेरे खयालो की पगडण्डी पर
मेरे लिए कोई रास्ता ही नहीं
गम इस बात का नहीं की कभी रोया नहीं
शिका तो ये है ऊपर वाले से
की तेरे अश्क़ जब जब भी बहे हैं
मेरा चेहरा क़भी भिगोया नहीं
आसमान के बिस्तर पर
तारों की चादर बिछा के
चाँद के तकिये पर सर टिका के
तू तो आराम से सपनों की टोकरी भर रहा है
इधर ये हाल है की अपना रास्ता भूल कर
और गवाएं वक़्त के नुकसान के
गम में मैं बहुत दिनों से बेफिक्र हो कर
ठीक से सोया भी नहीं
हताश ज़िन्दगी के रेगिस्तान पर
सपनों और जुनून की कुछ
गीली बूंदें गिरी होंगी कभी गए बरसों में
मगर अब तो उनके निशान भी
नहीं दिखते रेत पर
ये तेरा मानना है तो अच्छा ही है
बिना खोये भी लगता है मुझे
मैंने बहुत कुछ खोया है
चाहे मैं नहीं खोया दुनिया की भीड़ में
तुझे पाना चाहा था बस वोही पाया नहीं
बहुत सालों से ये दिल नहीं रोया है
चलो कोई बात नहीं क्यूंकि
रेगिस्तान को कितना भी निचोड़ डालो
बूँद से तो इसका कोई वास्ता ही नहीं
तेरे खयालो की पगडण्डी पर
मेरे लिए कोई रास्ता ही नहीं
गम इस बात का नहीं की कभी रोया नहीं
शिका तो ये है ऊपर वाले से
की तेरे अश्क़ जब जब भी बहे हैं
मेरा चेहरा क़भी भिगोया नहीं
आसमान के बिस्तर पर
तारों की चादर बिछा के
चाँद के तकिये पर सर टिका के
तू तो आराम से सपनों की टोकरी भर रहा है
इधर ये हाल है की अपना रास्ता भूल कर
और गवाएं वक़्त के नुकसान के
गम में मैं बहुत दिनों से बेफिक्र हो कर
ठीक से सोया भी नहीं
हताश ज़िन्दगी के रेगिस्तान पर
सपनों और जुनून की कुछ
गीली बूंदें गिरी होंगी कभी गए बरसों में
मगर अब तो उनके निशान भी
नहीं दिखते रेत पर
हुत सालों से ये दिल नहीं रोया है
ReplyDeleteचलो कोई बात नहीं क्यूंकि
रेगिस्तान को कितना भी निचोड़ डालो
बूँद से तो इसका कोई वास्ता ही नहीं
तेरे खयालो की पगडण्डी पर
मेरे लिए कोई रास्ता ही नहीं
गम इस बात का नहीं की कभी रोया नहीं
शिका तो ये है ऊपर वाले से
की तेरे अश्क़ जब जब भी बहे हैं
मेरा चेहरा क़भी भिगोया नहीं
बहुत सुन्दर शब्द और उतनी ही सुन्दर अभिव्यक्ति
Thanks Yogi!
DeleteBahut Khoob :-)
ReplyDeleteगीली बूंदें गिरी होंगी कभी गए बरसों में
Thanks Ruchi!
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