Thursday, September 1, 2011

जाने क्यूँ (मुंबई ब्लास्ट्स 2011) – एक कविता

जाने क्यूँ तेरा  उदास  शहर
मेरे  शहर को  भी  उदास कर  गया
 गोलियों  की    गूँज   तेरे  शेहेर  में
मेरे  शहर का  दिल  छलनी   कर गया

लहू  तेरे शहर में बहा  बेशुमार
मेरा  शहर  गुमसुम  आंसू  बहा कर  रह  गया

सरपरस्त हरेक  शहर में  लाशें  भुनाने  में लग  गए
आम  आदमी मगर  शहर  का अपने  ही  दायरे  में सिमट  गए

तेरे  शहर में जीने  की उमंग  देख  कर
मेरे शहर का भi जी  कर gaya!
जाने क्यूँ...