किसी का गारा किसी की ईंट
ये क्या ईमारत बनाने का ख्वाब था
उम्र भर समझता खुद को जवाब था
मैं तो सबसे बड़ा सवाल था
लम्बी डगर पर चलते चलते
पीछे अपने क़दमों के निशान देख कर
बहुत खुश था की वाह क्या मिसाल है
मंज़िल पर पहुँच कर चौंक गया
न परछाई थी न निशान थे
अपनी पहचान अपना सपना
न वो बनी न वो सच हुआ
बस भीड़ में जो मैं गुम हुआ
बस मोम के बुत सा मैं जम गया
लोगों को रिझाने के शौक में
दिल दिमाग भी सुन्न हुआ
इक अंधी दौड़ में जुट गया
जो हक़ था वो भी किधर गया
सब चुक गया सब खो गया
इक छोटी सी चूक से क्या हो गया
भोली मुस्कान मासूम आँखे
सब नकली मुखोटे में बदल गया
मैं यहाँ गया मैं वहां गया
जहाँ जाना था वो क्या हुआ
Awe-struck post, it's superb
ReplyDeleteGood Wishes
Thanks Ruchi!
Deleteये मेरी हार हे या जीत
ReplyDeleteमुझे समझ नहीं आती अब दुनिया की रीत
Excellent Hemendra!
ReplyDeleteअपनी पहचान अपना सपना
ReplyDeleteन वो बनी न वो सच हुआ
बस भीड़ में जो मैं गुम हुआ
बस मोम के बुत सा मैं जम गया
लोगों को रिझाने के शौक में
दिल दिमाग भी सुन्न हुआ
बहुत बढ़िया
Thanks @Yogi
DeleteYou sure are very talented and that too in many languages.
ReplyDeleteYou have made my day @Athenas
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ReplyDeleteVery nice...very honest
ReplyDeleteThanks Bushra!
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