मैख़ाना था साकी भी था जाम भी
फिर भी इक बूँद को तरस गए
कई बरस खामोश गुमसुम
कितने मौसम आये कितने गए
ताउम्र सब कुछ भुला दिया
तेरे ख्याल कुछ इस कद्र बस गए
इक राह इक ख्याल ये ज़िन्दगी
तुम कब पास आये तुम कब गए
तेरी महफ़िल तेरी नज़र के सामने
तेरी इक नज़र को तरस गए
फिर भी इक बूँद को तरस गए
कई बरस खामोश गुमसुम
कितने मौसम आये कितने गए
ताउम्र सब कुछ भुला दिया
तेरे ख्याल कुछ इस कद्र बस गए
इक राह इक ख्याल ये ज़िन्दगी
तुम कब पास आये तुम कब गए
तेरी महफ़िल तेरी नज़र के सामने
तेरी इक नज़र को तरस गए
very very beautifully written!!
ReplyDelete...तेरी महफ़िल तेरी नज़र के सामने
ReplyDeleteतेरी इक नज़र को तरस गए...Amazing indeed!!
सुन्दर
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