Sunday, November 24, 2013

वक़्त तो लगता है

पतंग कटने के बाद डोर लपेटने में
बारिश के बाद फसल समेटने मे
ख़ामोशी के माहौल से निबटने में
बहते पानी को अंजुली भरने में
वक़्त तो लगता है

दूरियां फासलों में नहीं दिलों में होती हैं
ये समझने में वक़्त तो लगता है


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