पतंग कटने के बाद डोर लपेटने में
बारिश के बाद फसल समेटने मे
ख़ामोशी के माहौल से निबटने में
बहते पानी को अंजुली भरने में
वक़्त तो लगता है
दूरियां फासलों में नहीं दिलों में होती हैं
ये समझने में वक़्त तो लगता है
बारिश के बाद फसल समेटने मे
ख़ामोशी के माहौल से निबटने में
बहते पानी को अंजुली भरने में
वक़्त तो लगता है
दूरियां फासलों में नहीं दिलों में होती हैं
ये समझने में वक़्त तो लगता है
No comments:
Post a Comment